दूसरे को बुरा बोलने से पहले खुद में एक बार झांक के देखो, क्या पता वक़्त और
हालात तुम्हे वही करने को मजबूर कर दे।
दुसरो को कुछ बोलने से पहले खुद को देखो उसके बाद किसी पर कीचड़
उछालो।
आलोचनाओं को उसी तरह स्वीकार करिए, जिस तरह आप अपनी प्रशंसा को
स्वीकार करते हैं।
धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है, लोग भी…रिश्ते भी…और कभी कभी हम
खुद भी।
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