कभी कभी नाराजगी, दूसरों से ज्यादा खुद से होती है।
तुम भी कर के देख लो मोहब्बत किसी से, जान जाओगे कि हम मुस्कुराना क्यों
भूल गए।
बिना गलती की सजा शायरी
थक सा गया है मेरी चाहतों का वजूद, अब कोई अच्छा भी लगे तो… इज़हार
नहीं करता।
बहुत करीब से अनजान बनकर गुजरा है वो, जो बहुत दूर से पहचान लिया
करता था कभी।
कभी मुझ को साथ लेकर, कभी मेरे साथ चल कर, वो बदल गया अचानक, मेरी
ज़िन्दगी बदल कर।
न अपने साथ हूँ, ना तेरे पास हूँ, बस कुछ दिनों से, बस यु ही उदास
हूँ।
समझकर भी जो न समझे उसको समझाकर भी क्या होगा।
अब न करेंगे, तुमसे कोई सवाल, काफी हक़ जताने लगे थे तुम पर,
माफ करना यार
ठुकराया हमने भी बहुतों को है तेरी ख़ातिर, तुझसे फासला भी
शायद उनकी बद-दुआओं का असर है।
गुजरती है जो दिल पर वो जुबान पर लाकर क्या होगा।
जो जाहिर करना पड़े वो दर्द कैसा और जो दर्द ना समझ सके वो
हमदर्द कैसा।
ये जो ख़ामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है ना, पढ़ना कभी ध्यान
से…चीखते कमाल के हैं।
आज उसने एक और दर्द दिया हैं, तो मुझे याद आया, मैंने ही तो
दुवाओ में, उसके सारे गम मांगे थे।
जब भी उदास हो जाओ, तो रो दिया करो, चेहरे पढ़ना अब भूल गए हैं
लोग।
इसे भी पढ़े :-
Tags:
Shayari